जो क्रूस पे कुर्बान है वो मेरा मसीहा है
हर जख्म जो उसका है वो मेरे गुनाह का है
इस दुनिया में ले आए मेरे ही गुनाह उसको
ये जुल्म ओ सितम उसपर मैंने ही कराया है
इन्सान है वो काबिल और सच्चा खुदा वो हैं
वो प्यार का दरिया है सच्चाई का रास्ता हैं
देने को मुझे जीवन खुद मौत सही उसने
क्या खूब है कुर्बानी क्या प्यार अनोखा है