दास तुम्हें फिर मैं न कहूँगा

पुरोहिताई के आदर में

स्थाई – दास तुम्हें फिर मैं न कहूँगा
प्राण पियारे मित्र कहूँगा

1. अब से मैं तुम्हें सेवक नहीं किन्तु मित्र कहूँगा
क्योंकि जो कुछ मैंने तुम्हारे बीच किया हैं
उसे तुम जानते हो ।

2. सांत्वनादाता पवित्रात्मा को ग्रहण करो
उसको पिता तुम्हारे पास भेज देगा ।

3. तुम मेरे मित्र हो
यदि तुम मेरे कहे अनुसार करोगे
सांत्वनादाता पवित्रात्मा को ग्रहण करो ।

4. पिता और पुत्र और पवित्रात्मा की महिमा हो
उसको पिता तुम्हारे पास भेज देगा ।

Song Link –
Kaisan Sundar Prabhu Ker Maya
Page no. 256, Hymn no. 622.
Hymn Book – Sangeet Sagar
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मुझको तेरे हाथों में समर्पित करता हूँ

मुझको तेरे हाथों में समर्पित करता हूँ
मुझे अपना जान कर तुम स्वीकार

1. सबको सब कुछ मिल जाये यही तेरी इच्छा
प्यार से प्रभु ने हम सबको मुक्त कर दिया
मैं भी किसी को जीवनदान दूँ
यही तुम्हारी इच्छा है
जग के स्वामी मुझको शक्ति दो
हे भगवान पूरा करो तेरा वचन

2. तेरे जीवन में मैं भी सम्पूर्ण जीवन पाया
स्वार्थ को छोड़कर मैं तेरा हो गया
अब तू मेरे दिल में आ गया
मुझे अब किसी बात का डर नहीं
जग के स्वामी…

Song Link –
Kaisan Sundar Prabhu Ker Maya
Page no. 257, Hymn no. 624.
Hymn Book – Sangeet Sagar
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