री० सृष्टि है तेरी कविता गाती हैं सन्ना तेरी
सारी धरा पर गूंजती है निशि दिन महिमा तेरी – 2
1. झरने की कलकल भी करती है तेरी महिमा
पंक्षी भी गाते हैं तू है कितना महान्
2. वन के सुमन भी बिहंसते करते हैं जय जयकार – 2
नभ को नीलिमा सितारे धरती को करते इशारे
सागर की चंचल मौजे देती हैं तेरी यादें
ऊंचे शिखर भी कहते तेरी कला है अपार
3. दाऊद के गीतों में है तेरी प्रशंसा की धारा
जन्नत में कहते फरिश्ते करतार है तू ही हमारा
सृष्टि के हर एक कण में निखरा है त्तेरा प्यार – 2
Song Link –
Srishti Hai Teri Kavita Gati Hai Sanna Teri
Page no. 73, Hymn no. 188.
Hymn Book – Sangeet Sagar
Responsorial Hymns (Anter Bhajan)
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