अभिषेक
पुरोहित है निराली निर्मल नदिया,
जिसमें स्वर्ग से कृपाजल है निरंतर बहता
तृषितों का प्यास बुझाती है
अमृत से मानव दिल को खींचती है ।
पुरोहित है निराली निर्मल नदिया ।
1. शे झरना पाकर ख्रीस्त प्रभु का
धवल जल बहाकर येसु विभु का ।
छलकन करती है निर्मल नदिया ( 2 )
रेत को शाद्वल , खेत को झिलमिल बनाये
क्लेष मिटाये, द्वेष मिटाये बहती है ,
निर्मल नदिया ।
2. चट्टानों को चूर कर कट्टर दिलों के ,
पाप कलंक दूर कर निर्मल दिलों के,
छलकन करती है, निर्मल नदिया (2)
धन्य पुरोहित, ईश्वर का संचित धन तू है,
धन्य पुरोहित, स्वर्ग से सुरक्षित जन तू है,
निर्मल नदिया ।
Song Link –
New Song (Naya Gaan) Page no. 220,
Hymn no. 1.
Hymn Book – (Naya Gaan)Sangeet Sagar
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