पवित्र साक्रमेन्त की आशिष
इस महान् संस्कार को दंडवत् बारंबार हो ।
इस महान् संस्कार को । ।
1. बीती विधि का उतार हो, नव रीति का विस्तार हो ।
देख न पाती आँख जिसे, दरसाता विश्वास उसे ।
2. पिता अरु पुत्र ईश्वर को, महिमा-गान निरंतर हो ।
उन्हीं से प्रसृत आत्मा को, सम सम्मान स्तुति सदा हो ।
Song Link –
New Song (Naya Gaan) Page no. 187,
Hymn no. 1.
Hymn Book – (Naya Gaan)Sangeet Sagar
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