गाना किताब – सागर
पृष्ठ संख्या – 195 गाना संख्या – 477
धन्यवाद गान –
री० काँटों पे चलूँगा तेरे लिए
दुख भी उठाऊँगा तेरे लिए
मैंने ये जीवन तुझको दिया है
जीवन बनाऊँगा तेरे लिए
1. मैंने भी माना ये जीवन कठिन है
और हरपल दुखों से घिरा
जीवन की आशाएँ तुझपे लगी है
कि तू है दया से भरा
तंगी बीमारी और बढ़ती मुसीबत
सब कुछ उठाऊँगा तेरे लिए
2. अपनी समझ का सहारा मैं लेता
तो मिलती पराजय मुझे
तेरी दया की दो बूंदे मिलेंगी तो
जयकार है निश्चय मुझे
आत्मा की फूलों से हदय सजाकर
जीवन संवारूँगा तेरे लिए
Song Link –
Kanto Pe Chalungu Tere Liye
Page no. 195, Hymn no. 477.
Hymn Book – Sangeet Sagar
Thanksgiving Hymns (Dhanyabad)
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