गाना किताब – संगीत सागर
पृष्ठ संख्या – 120 गाना संख्या – 311
चढ़ावा गान –
री० लो उपहार पिता पियारे,
रोटी दाखरस का उपहार
गेहूँ के दाने पिसकर ज्यों
सुंदर रोटी बनते है
सुख-दुःख़ की चक्की से पिसे
अर्पित रोटी हम बनते हैं।
2. एक बूंद जल मिलता है
दाखरस में जो मिलता है
वैसे ही हम मिल जाएँ
येसु मसीह के जीवन में
Song Link –
Lo Uphaar Pita Piyare Roti Aur Dakhras Ka Uphaar
Page no. 120, Hymn no. 311.
Hymn Book – Sangeet Sagar
Offertory Hymns (Chadhawa)
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