अल्लेलूया! अल्लेलूया! अल्लेलूया!
ईश्राएली जनता प्रभु की मिश्र धरा से बन्धन तोड़
अलग बनाया राजा अपना याहवे से निज सम्बन्ध जोड़
अल्लेलूया! अल्लेलूया! अल्लेलूया!
सागर देखा झटपट भागा यर्दन नदियाँ लौट गयी भी
और खुशी से पर्वत उछले नाच गयी हरियाली घाटी
जीवन स्वामी याकूब ईश्वर सन्मुख धरती थर थर काँपी
जल को बहाता चट्टानों से जिसनें उनकी करूणा मानी
No comments:
Post a Comment