तुमसे जीवित रहें तुम्ही में, तुम्ही रही रमते जीवन में ।
हम पर कृपा करो प्रभुवर हे, रहें शरण में पलें चरण में
1. अनुपम अखिल सृष्टि की रचना और
जन्म-बलिदान येसु का,
इस प्रकार दो बार कृपा की छाया में तू हमें ले चुका,
अब भी प्रतिफल सींच रही है हमें तुम्हारी करुणा-धारा,
नाना अदभूत रूपों में है प्रकट चित्तरंजन प्यार तुम्हारा ।
2. प्रतिदिन रोटी-द्राक्षारस में, अब भी, तुम हम तक आते हो हम शाखायें एक लता की, हमें इस तरह अपनाते हो,
एक परम रस से जीवित हैं – एक लता अनगिनत शाखायें
वैसे ही प्रभु, सदा तुम्हारे, जीवन में हम जीवन पायें ।
3. तुम रोटी-द्राक्षारस में हो, येसु विश्व में विभव तुम्हारा, परमप्रसाद में छिपे तुम हो, खोज खोज कर मानव हारा
करुणा करो कि जन-जन का मन, मगन तुम्हारी महिमा गाये हर घर में, हर जाति देश में, रमो सकल जग मुक्ति मनाये ।
Song Link –
New Song (Naya Gaan) Page no. 177,
Hymn no. 8.
Hymn Book – (Naya Gaan)Sangeet Sagar
ChristianPrayerSongs
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