हे ईश्वर, हिरणी जैसे जलधारा
के लिए तरसती है,
मेरी आत्मा वैसे ही तेरे लिए तरसती है ।
1. मेरी आत्मा ईश्वर की,
जीवन्त ईश्वर की प्यासी है ।
मैं कब जाकर ईश्वर के दर्शन करूँगा ?
2. मैं तीर्थयात्रियों के साथ-साथ
आनन्द और स्तुति के गीत गाते हुए,
अपने ईश्वर के भव्य निवास ,
उसके पवित्र मंदिर तक जाऊँगा ।
3. अपनी ज्योति और अपना सत्य भेज दे
वे मुझे मार्ग दिखायें
और मुझे तेरे पवित्र पर्वत तक ,
तेरे निवास स्थान तक पहुँचा दें ।
Song Link –
New Song (Naya Gaan) Page no. 232,
Hymn no. 2.
Hymn Book – (Naya Gaan)Sangeet Sagar
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