प्रभु जी उठे, प्रभु जी उठे ।
आज के दिन में तीसरे दिन में प्रभु जी उठे
आनन्द नदिया हर्ष की नदिया बहा दे ।
1. बारी में दुःख उठाये ।
पसीने-सा खून बहाये थे ।
2. पाये पै कोड़े खाये थे
काँटों के ताज पहने थे ।
3. प्यादों के घूँसे सहे थे ।
मानव के पाप उठाये थे ।
4. कंधों पै क्रूस उठाये ।
मृत्यु के द्वार की ओर चले थे ।
5. हाथों में कीलें जड़ी थीं ।
पैरों में क्रूस कील जड़ी थीं ।
6. सीने में भाला गड़ाये ।
मर कर कब्र में गाड़े गए थे ।
Song Link –
New Song (Naya Gaan) Page no. 162,
Hymn no. 5.
Hymn Book – (Naya Gaan)Sangeet Sagar
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