हे चरवाहा नाथ हमारा, हम सब भेड़-बकरियाँ उसकी
वह हम सब को देता चारा । हे चरवाहा नाथ हमारा ।
1. हरी भरी है उसकी चरणी, अख और जल से भरपूर ।
वह छाया में हमें सुलाता, जब-जब सूरज बनता क्रूर ।
2. स्वर्गलोक में घर है उसका, चरागाह उसका जग सारा । नस-नस से है उसका परिचय, वह तिल-तिल का रखता ध्यान
3. भीतर-बाहर सभी तरफ से है उसकी अच्छी पहचान ।
वही निरंतर पालन करता, वही हमारा है रखवारा ।
Song Link –
New Song (Naya Gaan) Page no. 184,
Hymn no. 18.
Hymn Book – (Naya Gaan)Sangeet Sagar
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