हे गुप्त ईश्वर तेरी पूजा दिल से मैं हूँ करता ।
छिपा हुआ जो इन चिथों में, सदा उपस्थित रहता ।
हे प्रभु तुझपर पूर्ण रूप से
ईश पुत्र के वचनों को मैं
हृदय निछावर करता,
सत्य पवित्र समझता,
खो जाता है तुझमें ही, प्रभु,
धन्य वचन से जिसे कहीं बढ़
ध्यान तुझे जब करता ।
कर मैं सत्य परखता ।
2. दृष्टि स्वाद वा स्पर्श इन्द्रीयों
तुमको जब प्रत्यक्ष रूप में
पर विश्वास न रखता, देखूँ ध्यान लगाऊँ,
तेरी वाणी को सुनने से
तेरी महिमा का दर्शन कर
ही विस्वास न डिगता ।
हर्षित हो सुख पाऊँ ।
Song Link –
New Song (Naya Gaan) Page no. 178,
Hymn no. 9.
Hymn Book – (Naya Gaan)Sangeet Sagar
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