1. पूज्य पिता है अनादि शाश्वत
तेरे गौरव गाने शत शत
कंठ कंठ से मुखरित होकर
गूंजित करते गगन निरन्तर ।
2. महिमा तेरी ऊँचे स्वर में
दूतगणों के अमर नगर में
संतगणों के भव्य भवन में
सदर-सर्वदा सकल जगत् में ।
3. ख्रीस्त हमारा मुक्ति प्रदाता
आसन पिता के दायें लेता
पाप मरन पर विजयी होकर
भवन-जनों का न्यायी होकर ।
4. पावन आत्मा शांतिप्रदाता
पवित्रता का अनन्त सोता
शीतल जल से सींच सींचकर
जीवन में बल देता भरकर ।
Song Link –
New Song (Naya Gaan) Page no. 171,
Hymn no. 12.
Hymn Book – (Naya Gaan)Sangeet Sagar
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