प्रेमभाव के साथ नित्य हम ईश्वर के गुण गायें ।
मन हर्षित हो जाये तन का रोम-रोम लहराये ।
प्रेमभाव…गायें ।
1. विश्वव्यापक वह परमेश्वर, सबसे है बलवान ।
प्रकाश बरसाता है जग में तेजोमय भगवान ।
शीश झुकायें उसके आगे, जो नित्य दया दिखाये ।
1. यह नभ औ यह धरती सारी ईश्वर की रचना है ।
प्रलयकाल में लेकिन सब को मिटूटी में मिल जाना है ।
आदि अंत बिन प्रभु है, उसकी धुन में चित्त लगायें ।
2. इस दुनिया की हर वस्तु को प्रभु ने पैदा किया है ।
ईश्वर के वैभव का गौरव नभ ने भी गाया हैं ।
देख सके जो सब कुछ, उसके चरण लीन हो जायें ।
3. वो ही गड़ेरिया पूज्य पिता करुणामय, मित्र हमारा ।
वो ही उठाता सिर पे, सब चिंता का बोझ हमारा ।
हम दीनों का वो ही दयाधन उसके हर गुण गायें ।
4. विपद के सागर में हमको नहीं डूबने देता ।
हमें सहारा देकर दुःखी मन को धीरज देता ।
उस प्यारे साथी की संगत हमें नित्य मिल जाये ।
Song Link –
New Song (Naya Gaan) Page no. 167,
Hymn no. 2.
Hymn Book – (Naya Gaan)Sangeet Sagar
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