री0 ओ मसीहा ओ मसीहा
मेरे प्यारे मसीहा।
ये हर दिन का सूरज चाँदा सितारे
तुम्हारा ही दर्पण है।
ये फूलों का खिलना
बच्चों का झुलना ये दिल का तराना
तुम्हारी ही सरगम है।
हर मन की आशा ये गीतों की भाषा
ये सपनों का ताता
तुम्हारी ही धड़कन है।
वो झरनो का बहना बहारों का झुमना
वो कोयल का गाना
तुम्हारी ही गुंजन है।
वो घूंघरू की रूमझुम डमरू की गुनगुन
मजिंरा का मंजिर
तुम्हारा ही नृत्यण है।
ये खुशिंयों का अंबर शाँति समुंदर
जो भी है सुंन्दर
तुम्हारा ही गायन है।
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