री0 आओ हम झुके करें उसका मान
संस्कार जो सबसे महान।
ये पूजा का रूप है नूतन
कल जो थी वो वही खुदा तु
जिसको हम पहचान न पाए
उसका दर्शन एहसास कराया।
हम सब मिलके यशोगान गाए
पिता और पुत्र का मान बढ़ाए
पवित्र आत्मा को सदा सराहें
विधिदिश्वर कार्य सिंचायें।
शीष झुकाके मान करें हम
जीवन को आज शान करें हम
मन के दीये को सदा जलायें
आंधियारें को दूर हटायें।
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