धर्मसंघियों का व्रतधारण
हे प्रभु मैं चलूँगा तेरे साथ,
ले चल मुझे पिता पास,
दे तेरा प्यार तेरी कृपा । हे प्रभु।
1. मैं पापी हूँ प्रभु किंतु तूने,
मुझे बुलाया होने प्रिय शिष्य तेरा ।
धर्मी बना प्रभु तू मुझे भी,
तेरे ही संग-संग चलूँगा मैं भी प्रभो ।
2. न मुझे धन की चाह न प्रशंसा,
न मुझे जिन्दगी लंबी-लंबी चाहिए ।
बस इक शर्त है प्रभु कि इन सब में,
ईश्वर की सेवा और आत्मा की रक्षा हो ।
3. तेरे प्रेम से प्रभु चुनता हूँ मैं,
दरिद्रता प्रभु क्योंकि तू दरिद्र था ।
अपमान क्योंकि तूने इसे सहा,
मूर्खता प्रभु क्योंकि तू मूर्ख बनाया गया ! !
Song Link –
New Song (Naya Gaan) Page no. 225,
Hymn no. 1.
Hymn Book – (Naya Gaan)Sangeet Sagar
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