पुरोहिताई के आदर में
स्थाई – दास तुम्हें फिर मैं न कहूँगा
प्राण पियारे मित्र कहूँगा
1. अब से मैं तुम्हें सेवक नहीं किन्तु मित्र कहूँगा
क्योंकि जो कुछ मैंने तुम्हारे बीच किया हैं
उसे तुम जानते हो ।
2. सांत्वनादाता पवित्रात्मा को ग्रहण करो
उसको पिता तुम्हारे पास भेज देगा ।
3. तुम मेरे मित्र हो
यदि तुम मेरे कहे अनुसार करोगे
सांत्वनादाता पवित्रात्मा को ग्रहण करो ।
4. पिता और पुत्र और पवित्रात्मा की महिमा हो
उसको पिता तुम्हारे पास भेज देगा ।
Song Link –
Kaisan Sundar Prabhu Ker Maya
Page no. 256, Hymn no. 622.
Hymn Book – Sangeet Sagar
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